दशाश्वमेधिक नामक तीर्थ स्थान की स्थिति महाभारत, वनपर्व[1] में गंगा के तट पर बताई गई है-
'दशाश्वमेधिक चैव गंगायां कुरुनन्दन'।[2]
- संभवत: यह तीर्थ स्थान काशी का प्रसिद्ध दशाश्वमेध है।
- कुछ इतिहासज्ञों का मत है कि दशाश्वमेध भारशिव नरेशों का स्मृति चिह्न है, क्योंकि इन्होंने काशी में 'दश' अश्वमेध यज्ञ किए थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 430 |