"अजहूँ चेति अचेत -सूरदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{| style="background:transparent; float:right" | {| style="background:transparent; float:right" | ||
|- | |- | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
अजहूँ चेति अचेत | अजहूँ चेति अचेत सबै दिन गए विषय के हेत। | ||
सबै दिन गए विषय के हेत। | |||
तीनौं पन ऐसैं हीं खोए, केश भए सिर सेत॥ | तीनौं पन ऐसैं हीं खोए, केश भए सिर सेत॥ | ||
आँखिनि अंध, स्त्रवन नहिं सुनियत, थाके चरन समेत। | आँखिनि अंध, स्त्रवन नहिं सुनियत, थाके चरन समेत। | ||
गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि-तजि पूजत प्रेत॥ | गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि-तजि पूजत प्रेत॥ | ||
मन-बच-क्रम जौ भजै स्याम कौं, चारि पदारथ देत। | मन-बच-क्रम जौ भजै स्याम कौं, चारि पदारथ देत। | ||
ऐसौ | ऐसौ प्रभु छाँडि़ क्यौं भटकै, अजहूँ चेति अचेत॥ | ||
राम नाम बिनु क्यौं छूटौगे, चंद गहैं ज्यौं केत। | राम नाम बिनु क्यौं छूटौगे, चंद गहैं ज्यौं केत। | ||
सूरदास कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत॥ | सूरदास कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत॥ |
08:20, 12 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||||
|
अजहूँ चेति अचेत सबै दिन गए विषय के हेत। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |