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तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी ।
तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी ।
श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥1॥
श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥1॥
सुख देनी दुख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे ।
सुख देनी दु:ख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे ।
मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥२॥
मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥2॥
वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे ।
वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे ।
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥३॥  
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥3॥  
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तिहारो दरस मोहे भावे -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी ।
श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥1॥
सुख देनी दु:ख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे ।
मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥2॥
वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे ।
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥3॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ


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