जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं -सूरदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
फ़ौज़िया ख़ान (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:23, 1 मार्च 2012 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

जो पै हरिहिं न शस्त्र गहाऊं।
तौ लाजौं गंगा जननी कौं सांतनु-सुतन कहाऊं॥
स्यंदन[1] खंडि[2] महारथ खंडौं, कपिध्वज[3] सहित डुलाऊं।[4]
इती न करौं सपथ मोहिं हरि की, छत्रिय गतिहिं न पाऊं॥
पांडव-दल सन्मुख ह्वै धाऊं सरिता रुधिर बहाऊं।
सूरदास, रण विजयसखा[5] कौं जियत न पीठि दिखाऊं॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रथ
  2. टुकड़े-टुकड़े करके
  3. अर्जुन के रथ की पताका, जिस पर हनुमान का चित्र था
  4. विचलित कर दूं
  5. अर्जुन के सखा श्रीकृष्ण

संबंधित लेख