हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:11, 2 मार्च 2012 का अवतरण ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास
सूरदास
सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

हरि हरि हरि सुमिरन करौ।
हरि चरनारबिंद उर धरौं॥

हरि की कथा होइ जब जहां।
गंगाहू चलि आवै तहां॥

जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
गोदावरी विलंब न लाबै॥

सर्व तीर्थ को बासा तहां।
सूर, हरि-कथा होवे जहां॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख