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| class="headbg6" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg5" style="padding-left:8px;"><span style="color:#34341B;">'''विशेष आलेख'''</span></div> | | class="headbg6" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg5" style="padding-left:8px;"><span style="color:#34341B;">'''विशेष आलेख'''</span></div> | ||
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*खजुराहो का प्राचीन नाम '''खर्जुरवाहक''' है। चंदेल राजाओं ने क़रीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों की तामीर करवाई थी लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ़ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। | *खजुराहो का प्राचीन नाम '''खर्जुरवाहक''' है। चंदेल राजाओं ने क़रीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों की तामीर करवाई थी लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ़ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। | ||
*इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान [[अल बरूनी]] (1022 ईसवी) तथा अरब मुसाफ़िर [[इब्न बतूता]] का है। | *इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान [[अल बरूनी]] (1022 ईसवी) तथा अरब मुसाफ़िर [[इब्न बतूता]] का है। | ||
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*खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि '''कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई''' मालूम होती हैं। | *खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना हैं। खजुराहो में ख़ूबसूरत मंदिरो में की गई कलाकारी इतनी सजीव है कि '''कई बार मूर्तियाँ ख़ुद बोलती हुई''' मालूम होती हैं। | ||
*यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती। | *यहाँ की श्रृंगारिक मुद्राओं में अंकित मिथुन-मूर्तियों की कला पर सम्भवतः तांत्रिक प्रभाव है, किन्तु कला का जो निरावृत और अछूता सौदर्न्य इनके अंकन में निहित है, उसकी उपमा नहीं मिलती। | ||
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*जैसलमेर, पश्चिमोत्तर भारत के [[राजस्थान]] राज्य में स्थित है। इसकी पश्चिम-उत्तरी सीमा [[पाकिस्तान]] के साथ लगती है तथा उत्तर-पूर्व में [[बीकानेर]], दक्षिण में बाड़मेर तथा पूर्व में इसकी सीमा [[जोधपुर]] से मिलती है। | *जैसलमेर, पश्चिमोत्तर भारत के [[राजस्थान]] राज्य में स्थित है। इसकी पश्चिम-उत्तरी सीमा [[पाकिस्तान]] के साथ लगती है तथा उत्तर-पूर्व में [[बीकानेर]], दक्षिण में बाड़मेर तथा पूर्व में इसकी सीमा [[जोधपुर]] से मिलती है। | ||
*पीले भूरे पत्थरों से निर्मित भवनों के लिए विख्यात '''जैसलमेर की स्थापना 1156 में''' राजपूतों के सरदार [[रावल जैसल]] ने की थी। | *पीले भूरे पत्थरों से निर्मित भवनों के लिए विख्यात '''जैसलमेर की स्थापना 1156 में''' राजपूतों के सरदार [[रावल जैसल]] ने की थी। | ||
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*जैसलमेर, राजस्थान में [[पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर शहर के निकट एक पहाड़ी पर बने हुए दुर्ग में राजमहल, कई प्राचीन जैन मंदिर और ज्ञान भंडार नामक एक पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन [[संस्कृत]] तथा '''प्राकृत पांडुलिपियाँ''' रखी हुई हैं। | *जैसलमेर, राजस्थान में [[पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर शहर के निकट एक पहाड़ी पर बने हुए दुर्ग में राजमहल, कई प्राचीन जैन मंदिर और ज्ञान भंडार नामक एक पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन [[संस्कृत]] तथा '''प्राकृत पांडुलिपियाँ''' रखी हुई हैं। | ||
*जैसलमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का [[जैसलमेर क़िला|क़िला]] है। यह '''स्थापत्य का सुंदर नमूना''' है। इसमें बारह सौ घर हैं। | *जैसलमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का [[जैसलमेर क़िला|क़िला]] है। यह '''स्थापत्य का सुंदर नमूना''' है। इसमें बारह सौ घर हैं। | ||
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*जैसलमेर राज्य का संपूर्ण भाग '''रेतीला व पथरीला''' होने के कारण यहाँ का तापमान मई-जून में अधिकतम 48<sup>०</sup> सेंटीग्रेड तथा दिसम्बर-जनवरी में न्यूनतम 4<sup>०</sup> सेंटीग्रेड रहता है '''[[जैसलमेर|.... और पढ़ें]]''' | *जैसलमेर राज्य का संपूर्ण भाग '''रेतीला व पथरीला''' होने के कारण यहाँ का तापमान मई-जून में अधिकतम 48<sup>०</sup> सेंटीग्रेड तथा दिसम्बर-जनवरी में न्यूनतम 4<sup>०</sup> सेंटीग्रेड रहता है '''[[जैसलमेर|.... और पढ़ें]]''' | ||
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+ | | class="headbg6" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg5" style="padding-left:8px;"><span style="color:#34341B;">'''चयनित लेख'''</span></div> | ||
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+ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[सारनाथ|सारनाथ]]'''</div> | ||
+ | <div id="rollnone"> [[चित्र:Sanchi-Buddhist-Stuppa-2.jpg|right|100px|साँची स्तूप, सारनाथ|link=सारनाथ]] </div> | ||
+ | *सारनाथ [[काशी]] से सात मील पूर्वोत्तर में स्थित बौद्धों का प्राचीन तीर्थ है, ज्ञान प्राप्त करने के बाद [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] ने प्रथम उपदेश यहाँ दिया था, यहाँ से ही उन्होंने "धर्म चक्र प्रवर्तन" प्रारम्भ किया। | ||
+ | *सारनाथ में '''सारंगनाथ महादेव का मन्दिर''' है, यहाँ [[श्रावण|सावन]] के महीने में हिन्दुओं का मेला लगता है। यह जैन तीर्थ है और जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर बताया है। | ||
+ | *सारनाथ की दर्शनीय वस्तुयें- [[अशोक]] का चतुर्मुख सिंहस्तम्भ, भगवान बुद्ध का मन्दिर, धामेख स्तूप, चौखन्डी स्तूप, राजकीय संग्राहलय, जैन मन्दिर, चीनी मन्दिर, मूलंगधकुटी और नवीन विहार हैं। | ||
+ | *सारनाथ का प्राचीन नाम '''ऋषिपतन''' (हिरनों का जंगल) था। आधुनिक नाम ‘सारनाथ’ की उत्पत्ति ‘सारंगनाथ’ (मृगों के नाथ) अर्थात [[गौतम बुद्ध]] से हुई। | ||
+ | *सारनाथ क्षेत्र की खुदाई से '''गुप्तकालीन अनेक कलाकृतियां तथा बुद्ध प्रतिमाएँ''' प्राप्त हुई हैं जो वर्तमान संग्रहालय में सुरक्षित हैं। | ||
+ | *सारनाथ से कई महत्त्वपूर्ण अभिलेख भी मिले हैं जिनमें प्रमुख काशीराज प्रकटादित्य का शिलालेख है। [[सारनाथ|.... और पढ़ें]]''' | ||
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07:22, 2 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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