एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"बैराट" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
{{पौराणिक स्थान}}
 
{{पौराणिक स्थान}}
 
[[Category:पौराणिक स्थान]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
[[Category:पौराणिक स्थान]][[Category:पौराणिक कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
+
[[Category:महाभारत]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

10:30, 18 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • कहा जाता है कि महाभारत काल में मत्स्य जनपद की राजधानी विराट नगर या विराटपुर, इसी स्थान के निकट बसी हुई थी। यहाँ एक चट्टान पर अशोक का शिलालेख संख्या- 1, उत्कीर्ण है। अशोक का एक दूसरा अभिलेख एक पाषण पट्ट पर अंकित है जो अब कोलकाता के रॉयल एशियाटिक सोसाइटी के संग्रहालय में सुरक्षित है।
  • बैराट या विराट जयपुर से 41 मील उत्तर की ओर स्थित है। यह मत्स्य देश के (महाभारत के समय के) राजा विराट के नाम पर प्रसिद्ध है। विराट की कन्या उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था। अपने अज्ञातवास का एक वर्ष पाण्डवों ने यहीं पर बिताया था और भीम ने विराटराज के सेनापति कीचक का वध इसी स्थान पर किया था।
  • महाभारत से ज्ञात होता है कि मत्स्यदेश की राजधानी वास्तव में उपप्लव्य थी किन्तु विराट के नाम पर सामान्यतः इसे विराट या विराटनगर कहते होंगे। यह भी सम्भव है कि उपप्लव्य विराटनगर से भिन्न हो, क्योंकि महाभारत के टीकाकार नीलकंठ ने विराट 72,14 की टीका में उपप्लव्य को 'विराटनगर-समीपस्थनगरान्तरम्' लिखा है। बैराट में आज भी एक गुफ़ा में भीम के रहने का स्थान बताया जाता है (अन्य पाण्डवों के नाम की गुफ़ाएँ भी हैं)।
  • बैराट को एक सिद्ध पीठ भी माना जाता है।
  • बैराट में अकबर के समय से कुछ पूर्व बना एक सुन्दर जैन मन्दिर भी है। जिसका शुद्धीकरण जैन मुनि हरिविजय सुरी द्वारा किया गया था। यह तथ्य मन्दिर में उत्कीर्ण एक अभिलेख में अंकित है। मुनि हरिविजय, अकबर के समकालीन थे और इनके उपदेशों से प्रभावित होकर मुग़ल सम्राट ने वर्ष में 160 दिन के लिए पशुवध पर रोक लगा दी थी।
  • कुछ विद्वानों के मत में युवानच्वांग ने (सातवीं शती के प्रारम्भ में) जिस पारयात्र नामक नगर का उल्लेख अपने यात्रावृत्त में किया है, वह बैराट ही था। यहाँ का तत्कालीन राजा वैश्य जाति का था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख