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'''गंगा सागर''' [[गंगा]] और [[सागर]] के संगम पर स्थित प्राचीन तीर्थ है। [[कपिल मुनि]] का, जिनके शाप से सागर के साठ सहस्त्र पुत्र भस्म हो गये थे। | '''गंगा सागर''' [[गंगा]] और [[सागर]] के संगम पर स्थित प्राचीन तीर्थ है। | ||
*[[कपिल मुनि]] का, जिनके शाप से सागर के साठ सहस्त्र पुत्र भस्म हो गये थे। आश्रम इसी स्थान पर था- 'तत: पूर्वोत्तरेदेशे समुद्रस्य महीपते, विदार्य पातालमथ सगरात्मजा:, अपश्यंत हयं तत्र विचरंत महीतले, कपिलं च महात्मानं तेरोराशिमनुत्तमम्'।<ref>[[महाभारत वन पर्व]] 107, 28-29</ref> | |||
*गंगा सागर का पुन: उल्लेख इस प्रकार है- 'समासाद्य समुद्रं चगंगया सहितो नृप:, पूरयामास वेगेन समुद्रं वरुणालयम्'- <ref>[[महाभारत वन पर्व]] 109, 17-18</ref> | *गंगा सागर का पुन: उल्लेख इस प्रकार है- 'समासाद्य समुद्रं चगंगया सहितो नृप:, पूरयामास वेगेन समुद्रं वरुणालयम्'-<ref>[[महाभारत वन पर्व]] 109, 17-18</ref> अर्थात् [[भगीरथ]] ने साथ [[समुद्र]] तक पहुंचकर वरुणालय समुद्र को गंगा के पानी से भर दिया। इस तरह सगर के पुत्रों के भस्मावशेष गंगा के [[जल]] से पवित्र हुए। | ||
07:58, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
गंगा सागर गंगा और सागर के संगम पर स्थित प्राचीन तीर्थ है।
- कपिल मुनि का, जिनके शाप से सागर के साठ सहस्त्र पुत्र भस्म हो गये थे। आश्रम इसी स्थान पर था- 'तत: पूर्वोत्तरेदेशे समुद्रस्य महीपते, विदार्य पातालमथ सगरात्मजा:, अपश्यंत हयं तत्र विचरंत महीतले, कपिलं च महात्मानं तेरोराशिमनुत्तमम्'।[1]
- गंगा सागर का पुन: उल्लेख इस प्रकार है- 'समासाद्य समुद्रं चगंगया सहितो नृप:, पूरयामास वेगेन समुद्रं वरुणालयम्'-[2] अर्थात् भगीरथ ने साथ समुद्र तक पहुंचकर वरुणालय समुद्र को गंगा के पानी से भर दिया। इस तरह सगर के पुत्रों के भस्मावशेष गंगा के जल से पवित्र हुए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत वन पर्व 107, 28-29
- ↑ महाभारत वन पर्व 109, 17-18