"अंधक संघ": अवतरणों में अंतर
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<blockquote>'मतंगवाप्यां य: स्नानादेकरात्रेण सिद्धयति, विगाहति ह्यनालंबमंधकं वै सनातनम्'।</blockquote> | <blockquote>'मतंगवाप्यां य: स्नानादेकरात्रेण सिद्धयति, विगाहति ह्यनालंबमंधकं वै सनातनम्'।</blockquote> | ||
* [[महाभारत शांति पर्व | * [[महाभारत शांति पर्व]] <ref>[[महाभारत शांति पर्व]] 81, 29 </ref>में अंधकों एवं वृष्णियों को कृष्ण से संबंधित बताया गया है- | ||
<blockquote>'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चांधकवृष्णय:, त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोका लोकेश्वराश्च ये।'</blockquote> | <blockquote>'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चांधकवृष्णय:, त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोका लोकेश्वराश्च ये।'</blockquote> | ||
* कृष्ण को इस प्रसंग में संघमुख्य भी कहा गया है- | * कृष्ण को इस प्रसंग में संघमुख्य भी कहा गया है- |
10:28, 8 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण
अंधक संघ महाभारतकालीन एक गणराज्य जिसकी स्थिति यमुना तट पर थी।
- यह मथुरा के परवर्ती प्रदेश में सम्मिलित था।
- श्रीकृष्ण का जन्म इसी प्रदेश के निवासी अंधकों के वंश में हुआ था।
- महाभारत अनुशासन-पर्व के अंतर्गत तीर्थ वर्णन में अंधक नामक तीर्थ का नैमिषारण्य के साथ उल्लेख है-
'मतंगवाप्यां य: स्नानादेकरात्रेण सिद्धयति, विगाहति ह्यनालंबमंधकं वै सनातनम्'।
- महाभारत शांति पर्व [1]में अंधकों एवं वृष्णियों को कृष्ण से संबंधित बताया गया है-
'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चांधकवृष्णय:, त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोका लोकेश्वराश्च ये।'
- कृष्ण को इस प्रसंग में संघमुख्य भी कहा गया है-
'भेदाद् विनाश: संघानां संघ मुख्योसिकेशव[2] जिससे सूचित होता है कि अंधक तथा वृष्णि गणराज्य थे।
इन्हें भी देखें: अंधक एवं अंधक (दैत्य)
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत शांति पर्व 81, 29
- ↑ (महाभारत शांति पर्व 81,25)