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'''नोप्रभ्रंशन''' [[हिमालय]] का एक 'श्रृंग'<ref>पर्वत का शिखर या चोटी</ref>, जिसे [[महाभारत]] में 'नौ-बंधन' कहा गया है। यह [[शतपथ ब्राह्मण]] में वर्णित 'मनोरवसर्पण' है, जहाँ [[मनु]] ने महाप्रलय के समय अपनी नाव बाँध कर शरण पाई थी। | '''नोप्रभ्रंशन''' [[हिमालय]] का एक 'श्रृंग'<ref>पर्वत का शिखर या चोटी</ref>, जिसे [[महाभारत]] में 'नौ-बंधन' कहा गया है। यह [[शतपथ ब्राह्मण]] में वर्णित 'मनोरवसर्पण' है, जहाँ [[मनु]] ने महाप्रलय के समय अपनी नाव बाँध कर शरण पाई थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=510|url=}}</ref> | ||
*महाप्रलय की कथा तथा मानव जाति के आदि पुरुष का उसमें जीवित रह जाना अनेक प्राचीन जातियों की पुरातन ऐतिहासिक परम्पराओं में वर्णित है। | *महाप्रलय की कथा तथा मानव जाति के आदि पुरुष का उसमें जीवित रह जाना अनेक प्राचीन जातियों की पुरातन ऐतिहासिक परम्पराओं में वर्णित है। | ||
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09:49, 19 जून 2012 के समय का अवतरण
नोप्रभ्रंशन हिमालय का एक 'श्रृंग'[1], जिसे महाभारत में 'नौ-बंधन' कहा गया है। यह शतपथ ब्राह्मण में वर्णित 'मनोरवसर्पण' है, जहाँ मनु ने महाप्रलय के समय अपनी नाव बाँध कर शरण पाई थी।[2]
- महाप्रलय की कथा तथा मानव जाति के आदि पुरुष का उसमें जीवित रह जाना अनेक प्राचीन जातियों की पुरातन ऐतिहासिक परम्पराओं में वर्णित है।
- बाइबिल में 'नोहा' या 'हज़रत नूह' की कथा मनु की कथा का ही एक दूसरा संस्करण मालूम होता है।
- भोमिकी विशारदों के मत में वर्तमान हिमालय के स्थान पर अति प्राचीन युग में समुद्र लहराता था। इस तथ्य से भी मनु की कथा की पुष्टि होती है।
- जान पड़ता है कि मानव जाति के इतिहास के उष:काल में सचमुच ही महाप्रलय की घटना घटी होगी और उसी की स्मृति संसार की अनेक प्राचीनतम सभ्य जातियों की पुरातन परम्पराओं में सुरक्षित चली आ रही है।
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