"उखीमठ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Adding category Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल (को हटा दिया गया हैं।))
छो (Adding category Category:धार्मिक स्थल कोश (को हटा दिया गया हैं।))
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल]]
[[Category:उत्तराखंड के धार्मिक स्थल]]
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

09:52, 17 दिसम्बर 2011 का अवतरण

इस लेख में और पाठ सामग्री का जोड़ा जाना अत्यंत आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
उखीमठ मन्दिर, उत्तराखंड

उखीमठ उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह केदारनाथ के निकट स्थित एक छोटा-सा कस्बा है, जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 4300 फ़ुट है। मान्यताओं के अनुसार उखीमठ का प्रारम्भिक नाम 'उषामठ' था, जो बाद में बदलकर 'उखीमठ' हो गया।

किंवदन्ती

यहाँ की स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार उषा-अनिरुद्ध की प्रसिद्ध पौराणिक प्रणयकथा की घटना स्थली यही है। एक विशाल मंदिर में अनिरुद्ध और उषा की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं। इनके साथ ही मांधाता की भी मूर्ति है। कहा जाता है कि केशव मंदिर में जो समुख शिवलिंग है, वह कत्यूरी शासन के समय का है। मंदिर का वर्तमान भवन अधिक प्राचीन नहीं है। कहा जाता है कि उखीमठ स्थान का मूल नाम 'उषा' या 'उषा मठ' था, जो बिगड़कर उखीमठ हो गया।

स्थापत्य कला

उषा बाणासुर की कन्या थी। उषा-अनिरुद्ध की सुंदर कथा का श्रीमद्भागवत[1] में सविस्तार वर्णन है, जिसमें बाणासुर की राजधानी शोणितपुर में कही गई है। शोणितपुर का अभिज्ञान गोहाटी से किया गया है। उखीमठ से उषा की कहानी का संबंध तथ्य पर आधारित नहीं जान पड़ता। उखीमठ में पहले लकुलीश शैवों की प्रधानता थी। मंदिर की वास्तुकला पर दक्षिणी भारतीय स्थापत्य का प्रभाव है, जो इस ओर शंकराचार्य तथा उनके अनुवर्ती दक्षिणात्यों के साथ आया था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख