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'''गंगाद्वार''' [[महाभारत]] में [[हरिद्वार]] का उल्लेख गंगाद्वार के रूप में हुआ है।<ref>([[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]] 81|14; [[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]] 25|13)।</ref> कहा जाता है कि यहीं [[विष्णु]] ने [[वामन]] रूप धारण कर [[बलि]] को छला था। शैव क्षेत्र के रूप में इसकी ख्याति है।<ref>हिन्दी विश्वकोश खण्ड-3 | पृष्ठ संख्या- 343</ref>
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गंगाद्वार महाभारत में हरिद्वार का उल्लेख गंगाद्वार के रूप में हुआ है।[1] कहा जाता है कि यहीं विष्णु ने वामन रूप धारण कर बलि को छला था। शैव क्षेत्र के रूप में इसकी ख्याति है।[2]



टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. (वन पर्व 81|14; अनुशासन पर्व 25|13)।
  2. हिन्दी विश्वकोश खण्ड-3 | पृष्ठ संख्या- 343

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