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'''देवसखा''' का उल्लेख [[वाल्मीकि रामायण]] में हुआ है, जिसके अनुसार यह उत्तर दिशा में स्थित एक [[पर्वत]] बताया गया है। [[हिमालय]] में [[कैलास पर्वत|कैलास]] के निकट यह पर्वत स्थित था।
'''देवसखा''' का उल्लेख [[वाल्मीकि रामायण]] में हुआ है, जिसके अनुसार यह उत्तर दिशा में स्थित एक [[पर्वत]] बताया गया है। [[हिमालय]] में [[कैलास पर्वत|कैलास]] के निकट यह पर्वत स्थित था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=451|url=}}</ref>


*देवसखा पर्वत को पक्षियों का प्रिय घर बताया गया है। इसके आगे एक विशाल मैदान का वर्णन है-
*देवसखा पर्वत को पक्षियों का प्रिय घर बताया गया है। इसके आगे एक विशाल मैदान का वर्णन है-

09:28, 2 जून 2012 के समय का अवतरण

देवसखा का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में हुआ है, जिसके अनुसार यह उत्तर दिशा में स्थित एक पर्वत बताया गया है। हिमालय में कैलास के निकट यह पर्वत स्थित था।[1]

  • देवसखा पर्वत को पक्षियों का प्रिय घर बताया गया है। इसके आगे एक विशाल मैदान का वर्णन है-

'ततो देवसखानाम पर्वत: पतगालय:, नानापक्षिसमाकीर्ण: विविधद्रुमभूषित:। तमतिक्रम्य चाकाशं सर्वत: शतयोजन, अपर्वतनदीवृक्षं सर्वसत्वविवर्जितम्। तत्तु शीघ्रमतिक्रम्य कांतारं रोमहर्षण कैलासं पांडरं प्राप्य हृष्टा यूयं भविष्यथ'।

  • उपर्युक्त उद्धरण से प्रतीत होता है कि देवसखा पर्वत कैलास के मार्ग में स्थित था। यहाँ से कैलास तक के रास्ते को बीहड़ एवं पर्वत, नदी, वृक्ष और सब प्राणियों से रहित बताया गया है।
  • इस पर्वत का ठीक-ठीक अभिज्ञान अनिश्चित है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 451 |

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