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*प्रसंगानुसार दार्विकोर्वी [[सिंध]] या [[पंजाब]] के अंतर्गत कोई क्षेत्र जान पड़ता है।
*प्रसंगानुसार दार्विकोर्वी [[सिंध]] या [[पंजाब]] के अंतर्गत कोई क्षेत्र जान पड़ता है।
*यह बहुत संभव है कि '[[दार्व]]' को ही इस स्थान पर दार्विकोर्वी नाम से अभिहित किया गया है।
*यह बहुत संभव है कि '[[दार्व]]' को ही इस स्थान पर दार्विकोर्वी नाम से अभिहित किया गया है।
*दार्व, [[जम्मू]] ([[कश्मीर]]) का 'डुग्गर' नामक इलाका है।
*दार्व, [[जम्मू]] ([[कश्मीर]]) का '[[डुग्गर]]' नामक इलाका है।
*[[विष्णु पुराण]] के उपर्युक्त उल्लेख में दार्विकोर्वी का नाम कश्मीर और [[चिनाब नदी|चिनाब]] (चंद्रभागा) के साथ होने से भी इस संभावना की पुष्टि होती है।
*[[विष्णु पुराण]] के उपर्युक्त उल्लेख में दार्विकोर्वी का नाम कश्मीर और [[चिनाब नदी|चिनाब]] (चंद्रभागा) के साथ होने से भी इस संभावना की पुष्टि होती है।



08:43, 14 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण

दार्विकोर्वी का उल्लेख विष्णु पुराण में हुआ है-

'सिंधुतटदार्विकोर्वी चंद्रभागाकाश्मीरविषयांश्च ब्रात्यम्लेच्छ् शूद्रादयोभोक्ष्यन्ति'[1]

  • इस उद्धरण से सूचित होता है कि दार्विकोर्वी नामक प्रदेश में संभवत: गुप्त काल के कुछ पूर्व शूद्र या 'म्लेच्छ' (विदेशी शकादि) जातियों का राज था।
  • प्रसंगानुसार दार्विकोर्वी सिंध या पंजाब के अंतर्गत कोई क्षेत्र जान पड़ता है।
  • यह बहुत संभव है कि 'दार्व' को ही इस स्थान पर दार्विकोर्वी नाम से अभिहित किया गया है।
  • दार्व, जम्मू (कश्मीर) का 'डुग्गर' नामक इलाका है।
  • विष्णु पुराण के उपर्युक्त उल्लेख में दार्विकोर्वी का नाम कश्मीर और चिनाब (चंद्रभागा) के साथ होने से भी इस संभावना की पुष्टि होती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 432 |

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