"वीरमत्स्य": अवतरणों में अंतर

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*यह जनपद [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] को [[केकय देश]] से [[अयोध्या]] आते समय [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और गंगा नदियों के समीप मिला था।
*यह जनपद [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]] को [[केकय देश]] से [[अयोध्या]] आते समय [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और गंगा नदियों के समीप मिला था।
*गंगा नदी संभवतः सरस्वती की कोई सहायक नदी हो सकती है, क्योंकि [[भागीरथी नदी|भागीरथी गंगा]] को भरत ने [[यमुना]] पार करने के पश्चात् पार किया था, जो भूगोल की दृष्टि से ठीक भी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=866|url=}}</ref>
*गंगा नदी संभवतः सरस्वती की कोई सहायक नदी हो सकती है, क्योंकि [[भागीरथी नदी|भागीरथी गंगा]] को भरत ने [[यमुना]] पार करने के पश्चात् पार किया था, जो भूगोल की दृष्टि से ठीक भी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=867|url=}}</ref>
*भरत ने यमुना को वीरमत्स्य पहुंचने के पश्चात् पार किया था-
*भरत ने यमुना को वीरमत्स्य पहुंचने के पश्चात् पार किया था-
<blockquote>'यमुना प्राप्य संतीर्णो बलमाश्वासयत्तदा।'<ref>वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड 71,6</ref></blockquote>
<blockquote>'यमुना प्राप्य संतीर्णो बलमाश्वासयत्तदा।'<ref>वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड 71,6</ref></blockquote>

11:50, 14 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

वीरमत्स्य नामक एक प्राचीन जनपद का उल्लेख वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड में हुआ है-

'सरस्वतीं च गंगा च युग्मेन प्रतिपद्य च, उत्तरान् वीरमत्स्यानां भारुंडं प्राविशद्वनम्।[1]

  • यह जनपद भरत को केकय देश से अयोध्या आते समय सरस्वती और गंगा नदियों के समीप मिला था।
  • गंगा नदी संभवतः सरस्वती की कोई सहायक नदी हो सकती है, क्योंकि भागीरथी गंगा को भरत ने यमुना पार करने के पश्चात् पार किया था, जो भूगोल की दृष्टि से ठीक भी है।[2]
  • भरत ने यमुना को वीरमत्स्य पहुंचने के पश्चात् पार किया था-

'यमुना प्राप्य संतीर्णो बलमाश्वासयत्तदा।'[3]

  • इस प्रकार वीरमत्स्य जनपद की स्थिति यमुना की स्थिति के पश्चिम की ओर पूर्वी पंजाब में माननी चाहिए।
  • संभवतः वीरमत्स्य में वर्तमान जगाधरी का ज़िला या इसका कोई भाग सम्मिलित रहा होगा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड 71,5
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 867 |
  3. वाल्मीकि रामायण, अयोध्याकाण्ड 71,6

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