नौप्रभ्रंशन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:47, 19 जून 2012 का अवतरण (''''नोप्रभ्रंशन''' हिमालय का एक 'श्रृंग'<ref>पर्वत का शिखर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

नोप्रभ्रंशन हिमालय का एक 'श्रृंग'[1], जिसे महाभारत में 'नौ-बंधन' कहा गया है। यह शतपथ ब्राह्मण में वर्णित 'मनोरवसर्पण' है, जहाँ मनु ने महाप्रलय के समय अपनी नाव बाँध कर शरण पाई थी।

  • महाप्रलय की कथा तथा मानव जाति के आदि पुरुष का उसमें जीवित रह जाना अनेक प्राचीन जातियों की पुरातन ऐतिहासिक परम्पराओं में वर्णित है।
  • बाइबिल में 'नोहा' या 'हज़रत नूह' की कथा मनु की कथा का ही एक दूसरा संस्करण मालूम होता है।
  • भोमिकी विशारदों के मत में वर्तमान हिमालय के स्थान पर अति प्राचीन युग में समुद्र लहराता था। इस तथ्य से भी मनु की कथा की पुष्टि होती है।
  • जान पड़ता है कि मानव जाति के इतिहास के उष:काल में सचमुच ही महाप्रलय की घटना घटी होगी और उसी की स्मृति संसार की अनेक प्राचीनतम सभ्य जातियों की पुरातन परम्पराओं में सुरक्षित चली आ रही है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 510 |

  1. पर्वत का शिखर या चोटी

संबंधित लेख