क्रौंचारण्य
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
क्रौंचारण्य नामक वन का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में हुआ है। इसके उल्लेखानुसार श्रीराम और लक्ष्मण, सीता की खोज करते हुए पंचवटी से चलकर यहाँ पहुँचे थे-
'तत: परं जनस्थानात्त्रिक्रोशंगम्य राघवौ, क्रौंचारण्य विविशतु: गहनं तौ महौजसौ"[1]
अर्थात "उसके बाद जनस्थान से तीन कोस चलकर तेजस्वी राम और लक्ष्मण ने घने क्रौंच वन में प्रवेश किया।
'तत: पूर्वेण तौ गत्वा त्रिकोशं भ्रातरौ तदा, क्रौंचारण्यमतिक्रम्य मतंगाधममंतरे'[2]
अर्थात "क्रौंचारण्य को पार करके तीन कोस चलने पर वे मतंगाश्रम पहुँचे।"
- इससे सूचित होता है कि क्रौचारण्य 'जनस्थान' और 'मतंगाश्रम' के बीच में स्थित था।
- क्रौंचारण्य के निकट क्रौंच नामक पहाड़ी की स्थिति थी।
- वर्तमान बेल्लारी (मैसूर) से छ: मील पूर्व की ओर लोहाचल पर्वत को क्रौंच कहा जाता है। संभव है रामायण काल में इसके निकटवर्ती वन को ही 'क्रौंचारण्य' नाम से अभिहित किया जाता हो।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 248 |