अंधतामिस्र
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अंधतामिस्र पौराणिक धर्म ग्रंथों तथा हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक नरक का नाम है, जो इक्कीस बड़े नरकों में से दूसरा है।[1]
- सांख्य के अनुसार इच्छित बात के करने की अशक्ति को विपर्यय कहते हैं। इसके पाँच भेद बताये गए हैं और अंधतामिस्र या अभिनिवेश अंतिम है।
- पति को धोखा देने वाली स्त्री, किसी की स्त्री तथा उसकी सम्पत्ति का हरण करने वाला अंधतामिस्र नरक का भागी होता है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 5 |
- ↑ भागवतपुराण 3.30.28; 23; वायुपुराण 26.7.4