असिपत्रवन
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असिपत्रवन पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक योजन भूमि में विस्तृत नरक का नाम है।[1] इसमें वैदिक पंथ छोड़ कर पांखड़ी जीवन व्यतीत करने वाले लोग तथा पशु-पक्षियों की हत्या करने वाले जाते हैं।[2]
- इस नरक की भूमि जलती हुई बताई गई है।
- असिपत्रवन के बीच में एक जगंल है, जिसके वृक्षों के पत्ते तलवार के समान तेज है, जो पापियों के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर डालते है।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 40 |
- ↑ वायुपुराण 46.79.,110.43
- ↑ भागवतपुराण 5.26.7.15; ब्रह्मांडपुराण 2.28.84; 4.2.149, 173; 33.61; मत्स्यपुराण 141.71; वायुपुराण 101.170; विष्णुपुराण 1.6.41, 2.6.3