रोमा
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रोमा नाम के एक प्राचीन नगर का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ महाभारत, सभापर्व में हुआ है-
'अताखीं चैव रोमां च यवनानां पुरं तथा, दूतैरेव वशेचक्रे करं चैनानदापयत्।'[1]
- पाण्डव सहदेव ने रोम, अंतियोकस तथा यवनपुर[2] नगरों को अपनी दिग्विजया यात्रा के प्रसंग में जीतकर इन पर कर लगाया था।[3]
- रोम अवश्य ही 'रोमा' का रूपान्तरण है।
- रोम-निवासियों का वर्णन महाभारत, सभापर्व[4] में, युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उपहार लेकर आने वाले विदेशियों के साथ भी किया गया है-
'द्वयक्षांत्र्यक्षांललाटक्षान् नानादिग्भ्य: समागतान् औष्णीकानन्त वासांश्च रोमकान् पुरुषादकान्।'
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