स्वर्ग

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स्वर्ग हिन्दू मान्यताओं और पुराणों के अनुसार सप्तलोकों में से एक है। विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार यह सूर्यलोक से लेकर ध्रुवलोक तक विस्तृत माना गया है।

  • यहाँ देवताओं का निवास है और पुण्यात्मा लोगों की आत्माएँ मरने पर यहीं आती हैं।
  • स्वर्ग में दु:ख, रोग, शोक, मृत्यु आदि का नाम नहीं है।
  • इस स्थान की कल्पना नरक की कल्पना के बिलकुल ही विपरीत है।
  • महाभारत में दिये पांडवों की स्वर्ग-यात्रा से भी यह स्पष्ट है कि सभी लोग स्वर्ग नहीं जा सकते।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 544 |


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