वज्रकंटक शाल्मली

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:29, 23 नवम्बर 2017 का अवतरण (''''वज्रकंटक शाल्मली''' हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

वज्रकंटक शाल्मली हिन्दू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथानुसार एक नरक का नाम है।

  • पशु आदि सभी के साथ व्यभिचार करने वाले व्यभिचारपरायण पुरुषों को “वज्रकंटकशाल्मली” नाम नरक मिलता है जहाँ वज्र के समान कठोर काँटे वाले सेमर वृक्ष पर उन्हें चढ़ाकर नीचे खैंचा जाता है जिससे उनका सारा शरीर काँटों से छिल जाता है तथा अत्यन्त असह्य वेदना होती है।
  • नरक लोक में सूर्य के पुत्र “यम” रहते हैं और मृत प्राणियों को उनके दुष्कर्मों का दण्ड देते हैं। नरकों की संख्या 28 कही गई है, जो इस प्रकार है[1]-
नरक के नाम
क्रम संख्या नाम क्रम संख्या नाम
1. तामिस्र 2. अन्धतामिस्र
3. रौरव 4. महारौरव
5. कुम्भी पाक 6. कालसूत्र
7. असिपत्रवन 8. सूकर मुख
9. अन्ध कूप 10. कृमि भोजन
11. सन्दंश 12. तप्तसूर्मि
13. वज्रकंटक शाल्मली 14. वैतरणी
15. पूयोद 16. प्राण रोध
17. विशसन 18. लालाभक्ष
19. सारमेयादन 20. अवीचि
21. अयःपान 22. क्षारकर्दम
23. रक्षोगणभोजन 24. शूलप्रोत
25. द्वन्दशूक 26. अवटनिरोधन
27. पर्यावर्तन 28. सूची मुख



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण, अध्याय 16, पृ.सं.-342, श्लोक 21 - त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं

संबंधित लेख