"सप्तसारस्वत": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''सप्तसारस्वत''' पुराणानुसार एक प्राचीन [[तीर्थ|तीर्थ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
<blockquote>'सप्तसारस्वतं तीर्थं ततोगच्छेन्नराधिप, यत्र मंकणकः सिद्धो महर्षिर्लोकविश्रुतः।'<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]], 83, 115, 116</ref></blockquote>
<blockquote>'सप्तसारस्वतं तीर्थं ततोगच्छेन्नराधिप, यत्र मंकणकः सिद्धो महर्षिर्लोकविश्रुतः।'<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]], 83, 115, 116</ref></blockquote>


<blockquote>'सप्त सारस्वते स्नात्वा अर्चयिष्यन्ति येतु माम्, न तेषां दुर्लभं किंचिदिहलोके परत्र च।'<ref>महाभारत, वनपर्व 83, 1333</ref></blockquote>
<blockquote>'सप्त सारस्वते स्नात्वा अर्चयिष्यन्ति येतु माम्, न तेषां दुर्लभं किंचिदिहलोके परत्र च।'<ref>महाभारत, वनपर्व 83, 133</ref></blockquote>





11:18, 21 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

सप्तसारस्वत पुराणानुसार एक प्राचीन तीर्थ स्थान था, जो सरस्वती नदी के तट पर स्थित था।[1]

'सप्तसारस्वतं तीर्थं ततोगच्छेन्नराधिप, यत्र मंकणकः सिद्धो महर्षिर्लोकविश्रुतः।'[2]

'सप्त सारस्वते स्नात्वा अर्चयिष्यन्ति येतु माम्, न तेषां दुर्लभं किंचिदिहलोके परत्र च।'[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 934 |
  2. महाभारत, वनपर्व, 83, 115, 116
  3. महाभारत, वनपर्व 83, 133

संबंधित लेख