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'''पंचाप्सरस''' का उल्लेख मंडकर्णि (या मंदकर्णि) [[मुनि]] के [[आश्रम]] के रूप में [[वाल्मीकि]] ने किया है-
'''पंचाप्सरस''' [[दक्षिण भारत]] के [[कर्नाटक|कर्नाटक राज्य]] में स्थित [[हिन्दू|हिंदुओं]] का [[तीर्थ|तीर्थ स्थल]] है। कुन्दापुर से बस द्वारा गंगोली बाज़ार आना चाहिए। गंगोली का अर्थ गंगावली- कई नदियों का संगम है। यह पुराण प्रसिद्ध पंचाप्सरस तीर्थ है; किंतु अब लुप्त प्राय है। केवल पास के लोग [[श्राद्ध]] करने यहाँ आते हैं। यहाँ कोई मंदिर नहीं है<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=174|url=}}</ref>।
 
पंचाप्सरस का उल्लेख मंडकर्णि (या मंदकर्णि) [[मुनि]] के [[आश्रम]] के रूप में [[वाल्मीकि]] ने किया है-
<blockquote>'तत: कर्तुतपोविघ्नं सर्वदवैर्नियोजित: प्रधानाप्सरस: पंचविद्युच्यलितवर्चस:, इदं पंचाप्सरो नाम तड़ागं सार्वकालिक निर्मितंतपसा तेन मुनिना मंदिकर्णिना'।</blockquote>
<blockquote>'तत: कर्तुतपोविघ्नं सर्वदवैर्नियोजित: प्रधानाप्सरस: पंचविद्युच्यलितवर्चस:, इदं पंचाप्सरो नाम तड़ागं सार्वकालिक निर्मितंतपसा तेन मुनिना मंदिकर्णिना'।</blockquote>


*[[कालिदास]] ने [[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 13, 38</ref> में पंचाप्सरस् सरोवर के पास शातकर्णि मुनि का आश्रम माना है-
*[[कालिदास]] ने [[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]<ref>[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]] 13, 38</ref> में पंचाप्सरस् सरोवर के पास शातकर्णि मुनि का आश्रम माना है-
<blockquote>'एतन् मुने मानिनिशातकर्णि पंचाप्सरो नाम विहारिवारि, आभाति पर्यंतनं विदुरान्मेघांतरालक्ष्य मिवेंदुबिंबम्'।</blockquote>
<blockquote>'एतन् मुने मानिनिशातकर्णि पंचाप्सरो नाम विहारिवारि, आभाति पर्यंतनं विदुरान्मेघांतरालक्ष्य मिवेंदुबिंबम्'।</blockquote>
*स्थानीय किंवदंती के अनुसार [[मैसूर]] राज्य में स्थित गंगावती या गंगोली का अभिज्ञान पंचाप्सरस से किया जाता है।
*स्थानीय किंवदंती के अनुसार मैसूर राज्य में स्थित गंगावती या गंगोली का अभिज्ञान पंचाप्सरस से किया जाता है।
*पंचाप्सरस पाँच नदियों का संगम स्थल है।
*पंचाप्सरस पाँच नदियों का संगम स्थल है।



05:39, 20 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

पंचाप्सरस दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित हिंदुओं का तीर्थ स्थल है। कुन्दापुर से बस द्वारा गंगोली बाज़ार आना चाहिए। गंगोली का अर्थ गंगावली- कई नदियों का संगम है। यह पुराण प्रसिद्ध पंचाप्सरस तीर्थ है; किंतु अब लुप्त प्राय है। केवल पास के लोग श्राद्ध करने यहाँ आते हैं। यहाँ कोई मंदिर नहीं है[1]

पंचाप्सरस का उल्लेख मंडकर्णि (या मंदकर्णि) मुनि के आश्रम के रूप में वाल्मीकि ने किया है-

'तत: कर्तुतपोविघ्नं सर्वदवैर्नियोजित: प्रधानाप्सरस: पंचविद्युच्यलितवर्चस:, इदं पंचाप्सरो नाम तड़ागं सार्वकालिक निर्मितंतपसा तेन मुनिना मंदिकर्णिना'।

'एतन् मुने मानिनिशातकर्णि पंचाप्सरो नाम विहारिवारि, आभाति पर्यंतनं विदुरान्मेघांतरालक्ष्य मिवेंदुबिंबम्'।

  • स्थानीय किंवदंती के अनुसार मैसूर राज्य में स्थित गंगावती या गंगोली का अभिज्ञान पंचाप्सरस से किया जाता है।
  • पंचाप्सरस पाँच नदियों का संगम स्थल है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 516 |

  1. हिन्दूओं के तीर्थ स्थान |लेखक: सुदर्शन सिंह 'चक्र' |पृष्ठ संख्या: 174 |
  2. रघुवंश 13, 38

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