"दधिमाली": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''दधिमाली''' 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक समुद्र का न...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''दधिमाली''' 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक [[समुद्र]] का नाम है, जो भृगुकच्छ के वणिकों को समुद्र यात्रा में [[अग्निमाली]] | '''दधिमाली''' 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक [[समुद्र]] का नाम है, जो [[भृगुकच्छ]] के वणिकों को समुद्र यात्रा में [[अग्निमाली समुद्र]] के पश्चात् मिला था- | ||
<blockquote>'यथा दधिं व खीरं समुद्दोपति दिस्सति'</blockquote> | <blockquote>'यथा दधिं व खीरं समुद्दोपति दिस्सति'</blockquote> | ||
अर्थात् 'यह समुद्र दधि और [[दूध]] के समान दीखता है। | |||
*इस समुद्र में [[चांदी]] का उत्पन्न होना कहा गया है- | *इस समुद्र में [[चांदी]] का उत्पन्न होना कहा गया है- | ||
<blockquote>'तस्मिंपन समुद्दे रजतं उत्पन्नम्'</blockquote> | <blockquote>'तस्मिंपन समुद्दे रजतं उत्पन्नम्'</blockquote> |
13:01, 26 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
दधिमाली 'शूर्पारक जातक' में वर्णित एक समुद्र का नाम है, जो भृगुकच्छ के वणिकों को समुद्र यात्रा में अग्निमाली समुद्र के पश्चात् मिला था-
'यथा दधिं व खीरं समुद्दोपति दिस्सति'
अर्थात् 'यह समुद्र दधि और दूध के समान दीखता है।
- इस समुद्र में चांदी का उत्पन्न होना कहा गया है-
'तस्मिंपन समुद्दे रजतं उत्पन्नम्'
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 578 |