"च्यवनाश्रम": अवतरणों में अंतर
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'''च्यवनाश्रम''' का उल्लेख [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>[[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 121-122</ref> में हुआ है। इसमें वर्णित [[च्यवन|च्यवन ऋषि]] और सुकन्या की कथा में च्यवन के आश्रम की स्थिति [[नर्मदा नदी]] के तट पर बताई गई है। इसका उल्लेख वैदूर्यपर्वत <ref>वन. 121, 19</ref> के | '''च्यवनाश्रम''' का उल्लेख [[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>[[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]] 121-122</ref> में हुआ है। इसमें वर्णित [[च्यवन|च्यवन ऋषि]] और सुकन्या की कथा में च्यवन के आश्रम की स्थिति [[नर्मदा नदी]] के तट पर बताई गई है। इसका उल्लेख वैदूर्यपर्वत <ref>वन. 121, 19</ref> के पश्चात् है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=347|url=}}</ref> | ||
*वैदूर्यपर्वत संभवत: नर्मदा नदी के तटवर्ती संगमरमर के पहाड़ों को कहा गया है, जिनके निकट वर्तमान [[भेड़ाघाट]] नामक स्थान है, जो [[जबलपुर]], [[मध्य प्रदेश]] से 13 मील की दूरी पर है। | *वैदूर्यपर्वत संभवत: नर्मदा नदी के तटवर्ती संगमरमर के पहाड़ों को कहा गया है, जिनके निकट वर्तमान [[भेड़ाघाट]] नामक स्थान है, जो [[जबलपुर]], [[मध्य प्रदेश]] से 13 मील की दूरी पर है। |
07:43, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
च्यवनाश्रम का उल्लेख महाभारत, वनपर्व[1] में हुआ है। इसमें वर्णित च्यवन ऋषि और सुकन्या की कथा में च्यवन के आश्रम की स्थिति नर्मदा नदी के तट पर बताई गई है। इसका उल्लेख वैदूर्यपर्वत [2] के पश्चात् है।[3]
- वैदूर्यपर्वत संभवत: नर्मदा नदी के तटवर्ती संगमरमर के पहाड़ों को कहा गया है, जिनके निकट वर्तमान भेड़ाघाट नामक स्थान है, जो जबलपुर, मध्य प्रदेश से 13 मील की दूरी पर है।
- जनश्रुति के अनुसार भेड़ाघाट में भृगु का स्थान था और यहाँ इनका मंदिर भी है।
- महाभारत के अनुसार च्यवन, भृगु के ही पुत्र थे-
'भृगोर्महर्षे: पुत्रोऽभूच्च्यवनो नाम भारत, समीपे सरसस्तस्य तपस्तेपे महाद्युति:।'[4]
- इस प्रकार महाभारत के इस प्रसंग में वर्णित च्यवन के आश्रम की भेड़ाघाट में स्थिति प्राय: निश्चित समझी जा सकती है।
- च्यवनाश्रम का उल्लेख महाभारत, वनपर्व[5] में भी है-
'आश्रम: कक्षसेनस्य पुण्यस्तत्र युधिष्ठिर, च्यवनस्याश्रम श्चैव विख्यातस्तत्र पांडव।'
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