श्रेणी:भक्ति काल
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- लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी -मीरां
- लटपटी पेचा बांधा राज -मीरां
- लागी मोहिं नाम-खुमारी हो -मीरां
- लाज न आवत दास कहावत -तुलसीदास
- लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी -मीरां
- लाज राखो महाराज -मीरां
- लाभ कहा मानुष-तनु पाये -तुलसीदास
- लालच दास
- लालचंद
- लेता लेता श्रीरामजीनुं नाम -मीरां
- लेतां लेतां रामनाम रे, लोकड़ियां तो लाजो मरै छे -मीरां
- लोक-लाज तजि नाची -मीरां
व
श
स
- संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान
- संगति का अंग -कबीर
- संत ची संगति संत कथा रसु -रैदास
- संतौ अनिन भगति -रैदास
- संदेसो दैवकी सों कहियौ -सूरदास
- संसै खाया सकल जग -कबीर
- सकल सुख के कारन -सूरदास
- सखि नीके कै निरखि कोऊ सुठि सुंदर बटोही -तुलसीदास
- सखि! रघुनाथ-रूप निहारु -तुलसीदास
- सखी आपनो दाम खोटो -मीरां
- सखी मेरा कानुंडो कलिजेकी कोर है -मीरां
- सखी री -मीरां
- सखी री लाज बैरण भई -मीरां
- सखी, मेरी नींद नसानी हो -मीरां
- सगल भव के नाइका -रैदास
- सतगुर ऐसा चाहिए -कबीर
- सतगुर मिल्या त का भया -कबीर
- सतगुर साँचा, सूरिवाँ -कबीर
- सतगुर हम सूँ रीझि करि -कबीर
- सतगुरु की महिमा अनँत -कबीर
- सतगुरु कै सदकै करूँ -कबीर
- सतगुरु शब्द कमान ले -कबीर
- सतगुरु सवाँ न को सगा -कबीर
- सतगुरु साँचा सूरिवाँ -कबीर
- सती संतोसी सावधान -कबीर
- सदन कसाई
- सदा सोहागिन नारि सो -मलूकदास
- सब कछु करत न कहु कछु कैसैं -रैदास
- सबसे ऊँची प्रेम सगाई -सूरदास
- समरथाई का अंग -कबीर
- सरन गये को को न उबार्यो -सूरदास
- सहेलियां साजन घर आया हो -मीरां
- साँई मेरा बानियाँ -कबीर
- साँई सौं सब होत है -कबीर
- सांच का अंग -कबीर
- सांचो प्रीतम -मीरां
- सांवरा म्हारी प्रीत निभाज्यो जी -मीरां
- सांवरो रंग मिनोरे -मीरां
- साजन घर आओनी मीठा बोला -मीरां
- साजन घर आया हो -मीरां
- साजन, सुध ज्यूं जाणो लीजै हो -मीरां
- सात समुंद की मसि करौं -कबीर
- सातौ सबद जु बाजते -कबीर
- साध का अंग -कबीर
- साध का निंदकु कैसे तरै -रैदास
- साध-असाध का अंग -कबीर
- साधुकी संगत पाईवो -मीरां
- साधो ये मुरदों का गांव -कबीर
- सामळोजी मारी बात -मीरां
- सारा बहुत पुकारिया -कबीर
- सार्वभौम भट्टाचार्य
- साहित्य लहरी
- सीतलता तब जानिए -कबीर
- सीसोद्यो रूठ्यो तो म्हांरो कांई कर लेसी -मीरां
- सु कछु बिचार्यौ ताथैं -रैदास
- सुंदर दास
- सुंदर मारो सांवरो। मारा घेर आउंछे वनमाली -मीरां
- सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी -मीरां
- सुदामा चरित -नरोत्तमदास
- सुदामा चरित भाग-2
- सुदामा चरित भाग-3
- सुदामा चरित भाग-4
- सुन मन मूढ -तुलसीदास
- सुन्दरदास खण्डेलवाल
- सुपने में सांइ मिले -कबीर
- सुभ है आज घरी -मीरां
- सुमन आयो बदरा -मीरां
- सुमिरण का अंग -कबीर
- सुरग नरक मैं रहा -कबीर
- सूरत दीनानाथ से लगी तू तो समझ सुहागण सुरता नार -मीरां
- सूरदास और अकबर
- सूरदास और वल्लभाचार्य
- सूरदास का ऐतिहासिक उल्लेख
- सूरदास का काल-निर्णय
- सूरदास का काव्य
- सूरदास का जन्म
- सूरदास का व्यक्तित्व
- सूरदास की अन्धता
- सूरदास की जाति
- सूरदास की भक्ति भावना
- सूरदास की मृत्यु
- सूरदास की रचनाएँ
- सूरदास मदनमोहन
- सूरसागर -सूरदास
- सूरसारावली
- सूरातन का अंग -कबीर
- सेई मन संमझि -रैदास
- सेस गनेस महेस दिनेस -रसखान
- सो कत जानै पीर पराई -रैदास
- सोइ रसना जो हरिगुन गावै -सूरदास
- सोभित कर नवनीत लिए -सूरदास
- सोहत है चँदवा सिर मोर को -रसखान
- स्याम मोरी बांहड़ली जी गहो -मीरां
- स्वामी अग्रदास
- स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान -मीरां
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- हउ बलि बलि जाउ रमईया कारने -रैदास
- हम भगतनि के भगत हमारे -सूरदास
- हमन है इश्क मस्ताना -कबीर
- हमरे चीर दे बनवारी -मीरां
- हमसे जनि लागै तू माया -मलूकदास
- हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ -सूरदास
- हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को -मीरां
- हमे कैशी घोर उतारो -मीरां
- हरि को टाँडौ लादे जाइ रे -रैदास
- हरि को ललित बदन निहारु -तुलसीदास
- हरि गुन गावत नाचूंगी -मीरां
- हरि जपत तेऊ जना पदम कवलास -रैदास
- हरि तुम कायकू प्रीत लगाई -मीरां
- हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां
- हरि बिन कूण गती मेरी -मीरां
- हरि बिन ना सरै री माई -मीरां
- हरि रस जे जन बेधिया -कबीर
- हरि समान दाता कोउ नाहीं -मलूकदास
- हरि हरि हरि न जपसि रसना -रैदास
- हरि हरि हरि न जपहि रसना -रैदास
- हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास
- हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे -रैदास
- हरि! तुम बहुत अनुग्रह किन्हों -तुलसीदास
- हरि, तुम क्यों न हमारैं आये -सूरदास
- हरिनाम बिना नर ऐसा है -मीरां
- हरिराम व्यास
- हरी तुम कायकू प्रीत लगाई -मीरां
- हरी मेरे जीवन प्रान अधार -मीरां
- हरी सखी देख्योरी नंद किशोर -मीरां
- हरो जन की भीर -मीरां
- हलधरदास
- हाड़ जरै ज्यौं लाकड़ी -कबीर
- हातकी बिडिया लेव मोरे बालक -मीरां
- हातीं घोडा महाल खजीना -मीरां
- हारि आवदे खोसरी -मीरां
- हारे जावो जावोरे जीवन जुठडां -मीरां
- हारे मारे शाम काले मळजो -मीरां
- हित चौरासी
- हिन्दू मुए राँम कहि -कबीर
- हूं जाऊं रे जमुना पाणीडा -मीरां
- हृदय तुमकी करवायो -मीरां
- हृदयराम
- हे हरि! कवन जतन भ्रम भागै -तुलसीदास
- हेरी म्हा दरद दिवाणौ -मीरां
- है मेरो मनमोहना, आयो नहीं सखी री -मीरां
- है सब आतम सोयं -रैदास
- है हरि नाम कौ आधार -सूरदास
- हैडा मामूनें हरीवर पालारे -मीरां
- होरी खेलत हैं गिरधारी -मीरां
- होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी -मीरां
- होलराय