राग ललित हमारो प्रणाम बांकेबिहारी को। मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे, कुंडल अलका कारी[1] को॥ अधर मधुर पर बंसी बजावै रीझ रिझावै[2] राधा प्यारी को। यह छवि देख मगन भई मीरा, मोहन गिरधर -धारी को॥