राग पूरिया कल्याण साजन[1], सुध ज्यूं जाणो लीजै हो। तुम बिन मोरे और न कोई, क्रिपा रावरी[2] कीजै हो॥ दिन नहीं भूख रैण नहीं निंदरा[3], यूं तन पल पल छीजै हो। मीरा के प्रभु गिरधर नागर , मिल बिछड़न[4] मत कीजै हो॥