राग सूहा
स्वामी सब संसार के हो सांचे श्रीभगवान।
स्थावर जंगम पावक पाणी धरती बीज समान॥
सब में महिमा थांरी[1] देखी कुदरत के करबान[2]।
बिप्र सुदामा को दालद[3] खोयो बाले की[4] पहचान॥
दो मुट्ठी तंदुल[5] कि चाबी दीन्ह्यों द्रव्य महान।
भारत में अर्जुन के आगे आप भया रथवान॥
अर्जुन कुलका[6] लोग निहार्या[7] छुट गया तीरकमान।
कोई मारे ना कोई मरतो, तेरो यो अग्यान।
चेतन जीव तो अजर अमर है, यो गीतारो[8] ग्यान॥
मेरे पर प्रभु किरपा कीजो, बांदी[9] अपणी जान।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर चरण कंवल में ध्यान॥