राग देस
पिया मोहि दरसण दीजै हो।
बेर बेर मैं टेरहूं [1], या किरपा कीजै हो॥
जेठ महीने जल बिना पंछी [2] दु:ख होई हो।
मोर असाढ़ा [3] कुरलहे [4] घन [5] चात्रा [6] सोई हो॥
सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां [7] खेलै हो।
भादरवै [8] नदियां वहै दूरी जिन मेलै हो [9]॥
सीप स्वाति ही झलती आसोजां [10] सोई हो।
देव [11] काती [12] में पूजहे मेरे तुम होई हो॥
मंगसर [13] ठंड बहोती[14]पड़ै मोहि बेगि सम्हालो हो।
पोष महि [15] पाला घणा,अबही तुम सम्हालो [16] हो॥
महा महि [17] बसंत पंचमी फागां सब गावै हो।
फागुण फागां खेलहैं बणराय जरावै हो॥
चैत चित्त में ऊपजी दरसण तुम दीजै हो।
बैसाख बणराइ फूलवै [18] कोमल कुरलीजै [19] हो॥
काग उड़ावत [20] दिन गया बूझूं पंडित जोसी[21] हो।
मीरा बिरहण व्याकुली दरसण क़द होसी [22] हो॥