शाम मुरली बजाई कुंजनमों॥ध्रु०॥ रामकली गुजरी गांधारी। लाल बिलावल भयरोमों॥1॥ मुरली सुनत मोरी सुदबुद खोई। भूल पडी घरदारोमों॥2॥ मीराके प्रभु गिरिधर नागर। वारी जाऊं तोरो चरननमों॥3॥