सीसोद्यो[1] रूठ्यो[2] तो म्हांरो कांई कर लेसी[3]।
म्हे[4] तो गुण गोविन्द का गास्यां[5] हो माई[6]॥
राणोजी रूठ्यो वांरो देस रखासी,हरि रूठ्या किठे[7] जास्यां हो माई॥
लोक लाजकी काण[8] न मानां,निरभै निसाण[9] घुरास्यां[10] हो माई॥
राम नामकी झाझ[11] चलास्यां,भौ-सागर तर जास्यां हो माई॥
मीरा सरण सांवल गिरधर की, चरण कंवल लपटास्यां हो माई॥
टीका टिप्पणी और संदर्भ
↑शीशोदिया, आशय है यहां राणा भोजराज से, जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के ज्येष्ठ राजकुमार थे, इन्हीं के साथ मीराबाई का विवाह हुआ था