राग धुनपीलू हरि बिन कूण गती मेरी। तुम मेरे प्रतिपाल कहिये मैं रावरी चेरी॥ आदि अंत निज नाँव तेरो हीयामें फेरी। बेर बेर पुकार कहूं प्रभु आरति है तेरी॥ यौ संसार बिकार सागर बीच में घेरी। नाव फाटी प्रभु पाल बाँधो बूड़त है बेरी॥ बिरहणि पिवकी बाट जोवै राखल्यो नेरी। दासि मीरा राम रटत है मैं सरण हूं तेरी॥