साजन घर आओनी मीठा बोला॥
कदकी ऊभी[1] मैं पंथ निहारूं थारो, आयां होसी मेला[2]॥
आओ निसंक, संक मत मानो, आयां ही सुक्ख रहेला॥
तन मन वार करूं न्यौछावर, दीज्यो स्याम मोय हेला[3]॥
आतुर बहुत बिलम मत कीज्यो, आयां हो रंग रहेला॥
तुमरे कारण सब रंग त्याग्या, काजल तिलक तमोला[4]॥
तुम देख्या बिन कल न पड़त है, कर धर रही कपोला[5]॥
मीरा दासी जनम जनम की, दिल की घुंडी[6] खोला॥