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*उपर्युक्त प्रसंगानुसार द्वय्क्ष [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा के परवर्ती प्रदेशों में रहने वाले लोग जान पड़ते हैं। | *उपर्युक्त प्रसंगानुसार द्वय्क्ष [[भारत]] की उत्तर-पश्चिमी सीमा के परवर्ती प्रदेशों में रहने वाले लोग जान पड़ते हैं। | ||
*कुछ विद्वानों का मत है कि द्वय्क्ष बदख्शाँ का और [[त्र्यक्ष]] [[तरखान]] का प्राचीन भारतीय नाम है। ये प्रदेश आजकल [[अफ़ग़ानिस्तान]] तथा दक्षिणी [[रूस]] में हैं। इन्हें उपर्युक्त उल्लेख में संभवत: औष्णीष या पगड़ी धारण करने वाला कहा गया है। ललाटाक्ष संभवत: [[लद्दाख]] का नाम है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=461|url=}}</ref> | *कुछ विद्वानों का मत है कि द्वय्क्ष बदख्शाँ का और [[त्र्यक्ष]] [[तरखान]] का प्राचीन भारतीय नाम है। ये प्रदेश आजकल [[अफ़ग़ानिस्तान]] तथा दक्षिणी [[रूस]] में हैं। इन्हें उपर्युक्त उल्लेख में संभवत: औष्णीष या पगड़ी धारण करने वाला कहा गया है। [[ललाटाक्ष]] संभवत: [[लद्दाख]] का नाम है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=461|url=}}</ref> | ||
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11:06, 11 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
द्वय्क्ष महाभारतकालीन एक प्रदेश था। महाभारत के उपायन अनुपर्व में युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में नाना प्रकार के उपहार लाने वाले विदेशियों में 'द्वय्क्ष' तथा 'त्र्यक्ष' नाम के लोग भी हैं-
'द्वय्क्षांस्त्र्क्षाल्ललाटाक्षान् नानादिग्भ्य: समागतान्, औष्णीकान त्तवासांश्च रोमकान् पुरुषादकान्'।
- उपर्युक्त प्रसंगानुसार द्वय्क्ष भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा के परवर्ती प्रदेशों में रहने वाले लोग जान पड़ते हैं।
- कुछ विद्वानों का मत है कि द्वय्क्ष बदख्शाँ का और त्र्यक्ष तरखान का प्राचीन भारतीय नाम है। ये प्रदेश आजकल अफ़ग़ानिस्तान तथा दक्षिणी रूस में हैं। इन्हें उपर्युक्त उल्लेख में संभवत: औष्णीष या पगड़ी धारण करने वाला कहा गया है। ललाटाक्ष संभवत: लद्दाख का नाम है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 461 |