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'''अंजन पर्वत''' [[वराहपुराण]]<ref>वराहपुराण 80 </ref>में उल्लिखित संभवत: [[पंजाब]] की सुलेमान-गिरिशृंखला है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=04|url=}}</ref>
'''अंजन पर्वत''' [[वराहपुराण]]<ref>वराहपुराण 80 </ref>में उल्लिखित संभवत: [[पंजाब]] की सुलेमान-गिरिशृंखला है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=04|url=}}</ref>
*[[वायुपुराण]] के अनुसार यह एक पहाड़ी का नाम है, जो सितोद सर के पश्चिम में स्थित है।<ref>([[वायु पुराण]] 36.28)</ref> यहाँ उरगों का निवास कहा गया है।<ref>([[वायु पुराण]] 36.28)</ref> यह हाथियों के जगंल के नाम से विख्यात है।<ref> ([[वायु पुराण]] 39.49.)</ref>





09:14, 18 मई 2018 का अवतरण

अंजन पर्वत वराहपुराण[1]में उल्लिखित संभवत: पंजाब की सुलेमान-गिरिशृंखला है।[2]

  • वायुपुराण के अनुसार यह एक पहाड़ी का नाम है, जो सितोद सर के पश्चिम में स्थित है।[3] यहाँ उरगों का निवास कहा गया है।[4] यह हाथियों के जगंल के नाम से विख्यात है।[5]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वराहपुराण 80
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 04 |
  3. (वायु पुराण 36.28)
  4. (वायु पुराण 36.28)
  5. (वायु पुराण 39.49.)

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