कांचनगिरि

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कांचनगिरि विदेह के उत्तर कुरु व देवकुरु में सीता व सीतोदा नदी के दोनों तटों पर पचास-पचास अथवा नदी के भीतर स्थित दस-दस द्रहों के दोनों ओर पाँच-पाँच करके, कंचन वर्ण वाले कूटाकार सौ-सौ पर्वत हैं। अर्थात् देवकुरु व उत्तर कुरु में पृथक-पृथक सौ-सौ हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कांचन गिरि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 नवम्बर, 2013।
  2. अंजनी पुत्र हनुमान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 नवम्बर, 2013।

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