राग सोरठ जोसीड़ा[1] ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम॥ आज आनंद उमंगि भयो है जीव लहै सुखधाम। पांच सखी[2] मिलि पीव परसिकैं आनंद ठामूं ठाम॥ बिसरि गयो दु:ख निरखि पियाकूं, सुफल मनोरथ काम। मीराके सुखसागर स्वामी भवन गवन कियो राम[3]॥