अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों। तें मोहन वश कीधोरे॥ध्रु०॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे॥1॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे॥2॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे॥3॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे॥4॥