श्रेणी:भक्ति काल
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- कुबजानें जादु डारा -मीरां
- कुमारव्यास
- कुल खोये कुल ऊबरै -कबीर
- कृत्तिवास रामायण
- कृपाराम
- कृष्ण करो जजमान -मीरां
- कृष्णदास पयहारी
- कृष्णमंदिरमों मिराबाई नाचे -मीरां
- कृष्णाश्रयी शाखा
- केशव,कहि न जाइ -तुलसीदास
- केसवे बिकट माया तोर -रैदास
- केसौ कहि कहि कूकिए -कबीर
- केहि समुझावौ सब जग अन्धा -कबीर
- कैसी जादू डारी -मीरां
- कोई कहियौ रे -मीरां
- कोई देखोरे मैया -मीरां
- कोई सुमार न देखौं -रैदास
- कोईकी भोरी वोलो मइंडो मेरो लूंटे -मीरां
- कौंन भगति थैं रहै प्यारे पांहुनौं रे -रैदास
- कौन जतन बिनती करिये -तुलसीदास
- कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
- कौन धौं सीखि ’रहीम’ इहाँ -रहीम
- कौन भरे जल जमुना -मीरां
- कौन मिलावै जोगिया हो -मलूकदास
- क्या करूं मैं बनमें गई घर होती -मीरां
- क्या तू सोवै जणिं दिवांनां -रैदास
ख
ग
- गंग
- गदाधर भट्ट
- गरब न कीजै बावरे -मलूकदास
- गली तो चारों बंद हुई, मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय -मीरां
- गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे -मीरां
- गाइ गाइ अब का कहि गाऊँ -रैदास
- गाया तिन पाया नहीं -कबीर
- गावन ही मैं रोवना -कबीर
- गावैं गुनी गनिका गन्धर्व -रसखान
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं -सूरदास
- गुरु गोविंद तौ एक है -कबीर
- गुरुदेव का अंग -कबीर
- गोपाल राधे कृष्ण गोविंद -मीरां
- गोबिंदे तुम्हारे से समाधि लागी -रैदास
- गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा -मीरां
- गोरी बाल थोरी वैस, लाल पै गुलाल मूठि -रसखान
- गोविन्ददास आचार्य
- गोविन्ददास कविराज
- गोविन्ददास चक्रवर्ती
- गौब्यंदे भौ जल -रैदास
- ग्यान प्रकासा गुरु मिला -कबीर
च
- चमरटा गाँठि न जनई -रैदास
- चरन कमल बंदौ हरि राई -सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई -सूरदास
- चरन रज महिमा मैं जानी -मीरां
- चलि मन हरि चटसाल पढ़ाऊँ -रैदास
- चांणक का अंग -कबीर
- चाकर राखो जी -मीरां
- चालने सखी दही बेचवा जइये -मीरां
- चालो अगमके देस कास देखत डरै -मीरां
- चालो ढाकोरमा जइ वसिये -मीरां
- चालो मन गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो मान गंगा जमुना तीर गंगा जमुना तीर -मीरां
- चालो सखी मारो देखाडूं -मीरां
- चिंता छांड़ि अचिंत रहु -कबीर
- चिंता तौ हरि नाँव की -कबीर
- चिंतामनि चित मैं बसै -कबीर
- चितवौ जी मोरी ओर -मीरां
- चितावणी का अंग -कबीर
- चित्ररेखा
- चित्रावली -उसमान
- चैतन्य चरितामृत
- चैतन्य चरितावली
- चैतन्य भागवत
- चैतन्य शतक
- चौसठि दीवा जोइ करि -कबीर
ज
- जग मैं बेद बैद मांनी जें -रैदास
- जगजीवनदास
- जदि का माइ जनमियाँ -कबीर
- जन कूँ तारि तारि तारि तारि बाप रमइया -रैदास
- जनम अकारथ खोइसि -सूरदास
- जब रामनाम कहि गावैगा -रैदास
- जमाल
- जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं -मीरां
- जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां
- जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव -रैदास
- जर्णा का अंग -कबीर
- जल कैशी भरुं जमुना भयेरी -मीरां
- जल भरन कैशी जाऊंरे -मीरां
- जशोदा मैया मै नही दधी खायो -मीरां
- जसवदा मैय्यां नित सतावे कनैय्यां -मीरां
- जसुमति दौरि लिये हरि कनियां -सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै -सूरदास
- जसोदा, तेरो भलो हियो है माई -सूरदास
- जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान
- जाका गुरु भी अँधला -कबीर
- जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी -मीरां
- जाके हिरदै हरि बसै -कबीर
- जाकौ जेता निरमया -कबीर
- जागिए ब्रजराज कुंवर -सूरदास
- जागिये कृपानिधान जानराय, रामचन्द्र -तुलसीदास
- जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन -मीरां
- जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं -मीरां
- जाति हुती सखी गोहन में -रहीम
- जानकी जीवन की बलि जैहों -तुलसीदास
- जापर दीनानाथ ढरै -सूरदास
- जिनके नौबति बाजती -कबीर
- जिनि थोथरा पिछोरे कोई -रैदास
- जिनि नर हरि जठराहँ -कबीर
- जिसहि न कोइ तिसहि -कबीर
- जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास
- जिहि कारन बार न लाये कछू -रहीम
- जिहि घटि प्रीति न प्रेम रस -कबीर
- जिहि जेवरी जग बंधिया -कबीर
- जिहि पैंडै पंडित गए -कबीर
- जिहि हरि की चोरी करी -कबीर
- जीवत मुकंदे मरत मुकंदे -रैदास
- जीवन मरन बिचारि करि -कबीर
- जीवन-मृतक का अंग -कबीर
- जो तुम तोडो पियो मैं नही तोडू -मीरां
- जो तुम तोरौ रांम मैं नहीं तोरौं -रैदास
- जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं -सूरदास
- जो मन लागै रामचरन अस -तुलसीदास
- जो मोहि बेदन का सजि आखूँ -रैदास
- जो मोहि राम लागते मीठे -तुलसीदास
- जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै -सूरदास
- जोगी मेरो सांवळा कांहीं गवोरी -मीरां
- जोसीड़ा ने लाख बधाई रे अब घर आये स्याम -मीरां
- जौ पै जिय धरिहौ अवगुन ज़नके -तुलसीदास
- जौ बिधिना अपबस करि पाऊं -सूरदास
- जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत -सूरदास
- ज्ञानदास
- ज्ञानरंजन
- ज्ञानाश्रयी शाखा
- ज्ञानेश्वरी
- ज्या संग मेरा न्याहा लगाया -मीरां
- ज्यानो मैं राजको बेहेवार उधवजी -मीरां
- ज्यों ज्यों हरि गुन साँभलूँ -कबीर
- ज्यौं ज्यौं हरि गुण साँभलौं -कबीर
त
- तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं -तुलसीदास
- तजौ मन, हरि-बिमुखनि को संग -सूरदास
- तत्त तिलक तिहुँ लोक मैं -कबीर
- तन की दुति स्याम सरोरुह -तुलसीदास
- तब राम राम कहि गावैगा -रैदास
- तबतें बहुरि न कोऊ आयौ -सूरदास
- ताथैं पतित नहीं को अपांवन -रैदास
- ताहि ते आयो सरन सबेरे -तुलसीदास
- तिहारो दरस मोहे भावे -सूरदास
- तुकाराम
- तुझहि चरन अरबिंद -रैदास
- तुझा देव कवलापती सरणि आयौ -रैदास
- तुम कीं करो या हूं ज्यानी -मीरां
- तुम बिन नैण दुखारा -मीरां
- तुम बिन मेरी कौन खबर ले -मीरां
- तुम लाल नंद सदाके कपटी -मीरां
- तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी -मीरां
- तुमरे दरस बिन बावरी -मीरां
- तुम्हरे कारण सब छोड्या, अब मोहि क्यूं तरसावौ हौ -मीरां
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान -सूरदास
- तुलसीदास
- तुलसीदास के दोहे
- तू कांइ गरबहि बावली -रैदास
- तू जानत मैं किछु नहीं भव खंडन राम -रैदास
- तूँ तूँ करता तू भया -कबीर
- तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के -कबीर
- तेरा जन काहे कौं बोलै -रैदास
- तेरा मेरा मनुवां -कबीर
- तेरा संगी कोइ नहीं -कबीर
- तेरा, मैं दीदार-दीवाना -मलूकदास
- तेरे सावरे मुखपरवारी -मीरां
- तैं मेरी गेंद चुराई -मीरां
- तोती मैना राधे कृष्ण बोल -मीरां
- तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी -मीरां
- तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार -मीरां
- त्यू तुम्ह कारन केसवे -रैदास
- त्यूँ तुम्ह कारनि केसवे -रैदास
- त्राहि त्राहि त्रिभवन पति पावन -रैदास