तोरी सावरी सुरत नंदलालाजी॥ध्रु०॥ जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत। कारी कामली वालाजी॥1॥ मोर मुगुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत लालाजी॥2॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपालाजी॥3॥