महाभारत स्‍त्री पर्व अध्याय 19 श्लोक 18-21

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

एकोनविंष (19) अध्याय: स्‍त्रीपर्व (जलप्रदानिक पर्व )

महाभारत: स्‍त्रीपर्व: एकोनविंष अध्याय: श्लोक 18-21 का हिन्दी अनुवाद

जैसे क्रीड़ा करते हुए गन्धर्व के साथ सहस्त्रों देव कन्याऐं होती हैं, उसी प्रकार इस विविंशति की सेवा में बहुत सी सुन्दरी स्त्रियां रहा करती थीं । शत्रु की सेना का संहार करने में समर्थ तथा युद्ध में शोभा पाने वाले शूरवीर शत्रुसूदन दुसह का वेग कौन सह सकता था? उसी दुसह का यह शरीर बाणों से खचाखच भरा हुआ है, जो अपने ऊपर खिले हुए कनेर के फूलों से व्याप्त पर्वत के समान सुशोभित होता है । यदयपि दुसह के प्राण चले गये हैं तो भी वह सोने की माला और तेजस्वी कवच से सुशोभित हो अग्नि युक्त स्वेत पर्वत के समान जान पड़ता है ।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख