"महाभारत आश्वमेधिक पर्व अध्याय 25 श्लोक 16-17": अवतरणों में अंतर
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नारायण को जान ने वाले पुरुष इस योग यज्ञ के प्रमाण में ऋचाओं का भी उल्लेख करते हैं। पूर्वकाल में भगवान नारायण देव की प्राप्ति के लिये भक्त पुरुषों ने इन्द्रियरूपी पशुओं को अपने अधीन किया था। | नारायण को जान ने वाले पुरुष इस योग यज्ञ के प्रमाण में ऋचाओं का भी उल्लेख करते हैं। पूर्वकाल में भगवान नारायण देव की प्राप्ति के लिये भक्त पुरुषों ने इन्द्रियरूपी पशुओं को अपने अधीन किया था। | ||
भगवत्प्राप्ति हो जाने पर परमानन्द से परिपूर्ण हुए सिद्ध पुरुष जो सामगान करते हैं, उसका दृष्टान्त तैत्तिरीय उपनिषद के | भगवत्प्राप्ति हो जाने पर परमानन्द से परिपूर्ण हुए सिद्ध पुरुष जो सामगान करते हैं, उसका दृष्टान्त तैत्तिरीय उपनिषद के विद्वान् ‘एतत् सामगायन्नास्ते’ इत्यादि मंत्रों के रूप में उपस्थित करते हैं। भीरू! तुम उस सर्वात्मा भगवान नारायणदेव का ज्ञान प्राप्त करो। | ||
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में ब्राह्मण गीताविषयक पचीसवाँ अध्याय पूरा हुआ। | इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में ब्राह्मण गीताविषयक पचीसवाँ अध्याय पूरा हुआ। |
14:57, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
पंचविंश (25) अध्याय: आश्वमेधिक पर्व (अनुगीता पर्व)
महाभारत: आश्वमेधिक पर्व: पंचविंश अध्याय: श्लोक 16-17 का हिन्दी अनुवाद
नारायण को जान ने वाले पुरुष इस योग यज्ञ के प्रमाण में ऋचाओं का भी उल्लेख करते हैं। पूर्वकाल में भगवान नारायण देव की प्राप्ति के लिये भक्त पुरुषों ने इन्द्रियरूपी पशुओं को अपने अधीन किया था।
भगवत्प्राप्ति हो जाने पर परमानन्द से परिपूर्ण हुए सिद्ध पुरुष जो सामगान करते हैं, उसका दृष्टान्त तैत्तिरीय उपनिषद के विद्वान् ‘एतत् सामगायन्नास्ते’ इत्यादि मंत्रों के रूप में उपस्थित करते हैं। भीरू! तुम उस सर्वात्मा भगवान नारायणदेव का ज्ञान प्राप्त करो।
इस प्रकार श्रीमहाभारत आश्वमेधिकपर्व के अन्तर्गत अनुगीता पर्व में ब्राह्मण गीताविषयक पचीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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