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'''कुवलयाश्व''' [[इक्ष्वाकु वंश]] के राजा बृहदश्व के पुत्र थे। इनके सौ पुत्र थे। कुवलयाश्व को 'धुंधमार' नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्होंने [[पिता]] के आदेश से 'धुंधु' नामक एक राक्षस का वध किया था। इसके वध की कथा विस्तारपूर्वक [[हरिवंश पुराण]] में वर्णित है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5 |title=कुवलयाश्व |accessmonthday=12 मार्च|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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कुवलयाश्व इक्ष्वाकु वंश के राजा बृहदश्व के पुत्र थे। इनके सौ पुत्र थे। कुवलयाश्व को 'धुंधमार' नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्होंने पिता के आदेश से 'धुंधु' नामक एक राक्षस का वध किया था। इसके वध की कथा विस्तारपूर्वक हरिवंश पुराण में वर्णित है।[1]


इन्हें भी देखें: इक्ष्वाकु वंश, भगीरथ एवं श्रीराम


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुवलयाश्व (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 मार्च, 2014।

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