अघ श्रीकृष्ण के मामा और मथुरा नरेश कंस का सेनापति था। वह रूप बदलकर कृष्ण, उनके साथी तथा पशुओं को मारने के प्रयोजन हेतु वृन्दावन गया था।[1]
- अघ के मुख को भू-भाग समझ कर सब ग्वालवाल उसके मुख में प्रवेश कर गये थे।
- श्रीकृष्ण ने अघ का गला रोध दिया और उसका वध किया।
- अघ 'अघासुर' नाम से विख्यात था। श्रीकृष्ण द्वारा वध किये जाने से उसे मोक्ष प्राप्त हुआ।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी-221001 |पृष्ठ संख्या: 12 |
- ↑ भागवतपुराण 10.12. 13-38; 13.4; 14.60.