विद्युन्माली पुराणानुसार एक एक राक्षस, जो तारकासुर का मझला पुत्र था। भगवान शंकर से इसे एक सोने का विमान मिला था, जिस पर चढ़ कर यह सूर्य के पीछे-पीछे घूमा करता था।
- विमान लेकर सूर्य के पीछे रहने के कारण विद्युन्माली के विमान में अन्धकार नहीं होता था।
- सूर्य ने अपने तेज़ से विद्युन्माली के विमान को जला दिया था।
- रामायण के अनुसार धर्म के पुत्र सुषेण से विद्युन्माली का युद्ध हुआ था।
- विद्युन्माली ने काफ़ी समय तक तप कर ब्रह्मा को प्रसन्न करके लोहे से निर्मित एक नगर माँगा था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ शिवपुराण, रुद्रसंहिता 5.1