अर्चिष्मती

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अर्चिष्मती हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार अंगिरा ऋषि की चार कन्याओं में से एक थी।[1]

  • महाभारत वन पर्व के अनुसार अंगिरा मुनि की चौथी पुत्री ‘अर्चिष्‍मती’ के नाम से विख्यात थी, यही पूर्ण चन्‍द्रमा से युक्‍त होने के कारण शुद्ध पौर्णमासी कही जाती है, इसकी प्रभा से लोग रात में सब वस्‍तुओं को स्‍पष्‍ट देखते हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 15 |
  2. महाभारत वन पर्व |अनुवादक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 1579 |

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