"कक्षीवान" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''कक्षीवान''' के पिता का नाम 'दीर्घतमस' तथा माता का न...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
*तीव्र कोलाहल से सोते हुये [[ऋषि]] कक्षीवान की नींद खुल गई।
 
*तीव्र कोलाहल से सोते हुये [[ऋषि]] कक्षीवान की नींद खुल गई।
 
*राजा स्वनय तथा उनकी पत्नी मुग्ध भाव से कक्षीवान को देख रहे थे।
 
*राजा स्वनय तथा उनकी पत्नी मुग्ध भाव से कक्षीवान को देख रहे थे।
*जब वह उठा तब राजा ने उसके गोत्र के विषय में पूछा।
+
*जब वह उठा तब राजा ने उसके [[गोत्र]] के विषय में पूछा।
 
*स्वगोत्र से कोई विरोध न पाकर राजा ने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया।
 
*स्वगोत्र से कोई विरोध न पाकर राजा ने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया।
 
*दस रथ और एक हज़ार साठ [[गाय|गायें]] कक्षीवान को उपहार स्वरूप दी गईं।
 
*दस रथ और एक हज़ार साठ [[गाय|गायें]] कक्षीवान को उपहार स्वरूप दी गईं।
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=48|url=}}
 
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=48|url=}}

12:01, 19 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

कक्षीवान के पिता का नाम 'दीर्घतमस' तथा माता का नाम 'उशिज' था। राजा स्वनय कक्षीवान की सुन्दरता पर इतने मोहित हुए थे कि उन्होंने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया। कक्षीवान ने अनेक प्रकार के यज्ञ सम्पन्न किए थे, जिससे प्रसन्न होकर इन्द्र ने उन्हें 'वृचया' नामक पत्नी प्रदान की थी।

  • कक्षीवान अपना विद्याध्ययन समाप्त करके अपने घर की ओर जा रहे थे।
  • अत्यधिक चलने के कारण वे मार्ग में थककर वहीं भूमि पर एक पेड़ के नीचे सो गये।
  • उसी मार्ग से राजा स्वनय अपने भावयव्य दल-बल सहित वहाँ से जा रहा था।
  • तीव्र कोलाहल से सोते हुये ऋषि कक्षीवान की नींद खुल गई।
  • राजा स्वनय तथा उनकी पत्नी मुग्ध भाव से कक्षीवान को देख रहे थे।
  • जब वह उठा तब राजा ने उसके गोत्र के विषय में पूछा।
  • स्वगोत्र से कोई विरोध न पाकर राजा ने अपनी दसों पुत्रियों का विवाह कक्षीवान से कर दिया।
  • दस रथ और एक हज़ार साठ गायें कक्षीवान को उपहार स्वरूप दी गईं।
  • गायों की पंक्तियों के पीछे दस रथ लेकर कक्षीवान अपने पितृगृह पहुँचे।
  • अपने कुटुम्बियों को गायों, रथों आदि का दान किया और फिर इन्द्र की स्तुति की।
  • कक्षीवान की स्तुति से प्रसन्न होकर इन्द्र ने उन्हें वृचया नाम की पत्नी प्रदान कर दी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 48 |


संबंधित लेख