भीमशंकर
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भीमशंकर राक्षस राजा रावण के भाई कुम्भकर्ण तथा कर्कटी का पुत्र था। मूल रूप से उसका नाम 'भीम' था। वह अपनी माता कर्कटी के साथ ही ‘सह्य’ नामक पर्वत पर निवास करता था।
- भीम ने अपने जीवन में अपने पिता को कभी नहीं देखा था।
- उसने अपनी माता से पूछा, "तुम इस पर्वत पर अकेली क्यों रहती हो? मेरे पिताजी कौन हैं और कहाँ रहते हैं?
- यह ज्ञात होने पर कि राम ने रावण, कुंभकरण आदि का नाश कर दिया है, उसने घोर तप किया।
- अपने तप द्वारा भीम ने ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया।
- उसने ब्रह्मा से अपने पिता के शत्रुओं को जीतने का वर प्राप्त किया।
- फलत: समस्त देवताओं को भीम ने युद्ध में परास्त कर दिया।
- इस संकट से मुक्ति पाने के लिए देवता शिव की शरण में पहुँचे।
- शिव की माया से भीम की दुर्बुद्धि जागी और वह शिवभक्तों को त्रस्त करने लगा।
- शिव ने क्रुद्ध होकर उससे युद्ध करते हुए हुंकार दी, जिससे एक ज्वाला प्रकट हुई।
- उस ज्वाला में ही भीम परिवार सहित जलकर भस्म हो गया।
- इसी स्थान पर आज भी शिव, 'भीमशंकर' नाम से विख्यात हैं तथा उनका ज्योतिर्लिंग यहाँ स्थापित है।
इन्हें भी देखें: भीमशंकर ज्योतिर्लिंग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय मिथक कोश |लेखक: डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति |प्रकाशक: नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 213 |